सुनील दत्त और नरगिस की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। हालांकि बॉलीवुड में इस प्रेम कहानी के बारे में कम ही बात होती हैं। सुनील दत्त नरगिस को काफी लंबे समय से पसंद करते थे। इन दोनों की पहली मुलाकात ‘दो बीघा ज़मीन’ फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थी। उन दिनों सुनील दत्त अपने करियर को सफल बनाने की कोशिश कर रहे थे तो, नरगिस चरम पर थीं। चारों तरफ नरगिस की खूबसूरती और एक्टिंग के ही चर्चे थे।
नरगिस इससे पहले राज कपूर के साथ रिश्ते में थीं, लेकिन इसके बावजूद भी राज कपूर ने कृष्णा कपूर से शादी की। इसके चलते नरगिस पूरी तरह से टूट चुकी थीं। अब उन्होंने अपना पूरा समय काम को ही देती थीं। आरके प्रोडक्शन की एक के बाद एक फिल्म नरगिस को मिल रही थी, लेकिन वो अपने निजी जीवन से इतना परेशान थीं कि उन्होंने एक बार आत्महत्या की कोशिश भी की थी।
इस सब के बीच नरगिस और सुनील दत्त को ‘मदर इंडिया’ में साथ काम करने का मौका मिला। इस दौरान जब एक दिन ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग चल रही थी, तब आग वाले सीन में नरगिस बुरी तरह से फंस गईं। आग इतनी भड़क चुकी थी कि किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो आग में कूद कर उन्हें बचा सके। ऐसे में सुनील दत्त भागते हुए एक कंबल लेकर आए और आग में कूदकर नरगिस को सुरक्षित बचा लाए।
इस हादसे में नरगिस तो बच गई थीं लेकिन सुनील दत्त को गंभीर चोटें आईं, लेकिन ‘मदर इंडिया’ के सेट पर हुए हादसे ने सुनील दत्त और नरगिस को पास ला दिया था। नरगिस ने सुनील दत्त की उन दिनों बहुत सेवा की। एक इंटरव्यू में उन्होंने एक बार कहा भी था
‘मैं जब भी परेशान होती हूं सुनील का कंधा हमेशा मेरा पास रोने के लिए होता है और मुझे पता था वो सारे आंसू सोख लेंगे और दूसरों की तरह मेरा मज़ाक नहीं बनाएंगे।’
दोनों ही जल्द से जल्द शादी करना चाहते थे, लेकिन हाल ही में ‘मदर इंडिया’ फिल्म में दोनों ने मां-बेटे का किरदार निभाया था। ऐसे में अगर लोगों को पता चलता कि ये लोग शादी कर रहे हैं, तो समाज काफी मज़ाक उड़ाता। इसके बावजूद कुछ वक्त के बाद ही सुनील दत्त और नरगिस ने शादी कर ली। दोनों की शादी तो हो चुकी थी लेकिन काफी दिनों तक इस बात को राज़ ही रहने दिया गया। ये दोनों अपने घरवालों के साथ रहते थे और रात को ही मिला करते थे। इसके अलावा आपस में बातचीत करने के लिए इन दोनों के पास टेलीग्राम और चिट्ठियों का सहारा था।
कुछ वक्त के बाद दोनों ने अपने रिश्ते का ऐलान कर दिया और फिल्मी दुनिया के लोगों को बड़ी पार्टी भी दी। लेकिन ये खुशियां शायद कुछ वक्त के लिए ही थीं। 70 के दशक में नरगिस की तबीयत खराब हो गई। पहले उन्हें पीलिया हुआ लेकिन बाद में ये कैंसर में बदल गया। इलाज के लिए उन्हें न्यूयॉर्क ले जाया गया। काफी वक्त तक वो कोमा में थीं। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। वहां के डॉक्टरों ने शायद उम्मीद ही छोड़ दी थी। ऐसे में उन्होंने नरगिस को वेंटिलेटर से हटा लेने को कहा। लेकिन सुनील दत्त ऐसा करने को तैयार नहीं हुए। उन्हें पता था कि उनकी बीवी एक दिन ज़रूर ठीक होगी। सुनील दत्त ने उम्मीद नहीं छोड़ी और भगवान ने भी उन्हें निराश नहीं किया। लगभग चार महीने के बाद नरगिस को होश आया। अप्रैल 1981 में वो मुंबई अपने घर वापस लौट आईं।
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इसी साल संजय दत्त फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले थे। उनकी पहली फिल्म रॉकी जल्द ही रिलीज़ होने जा रही थी। फिल्म का खास प्रीमियर 7 मई को रखा गया था। नरगिस बहुत खुश थीं कि वो अपने बेटे संजय दत्त की फिल्म का प्रीमियर देखने जाएंगी। हालांकि उन दिनों उनकी तबीयत इतनी भी ठीक नहीं थी। फिर भी वो विल चेयर से प्रीमियर पर जाने को तैयार थीं। परिवार वालों ने भी उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन संजय दत्त की पहली फिल्म के प्रीमियर पर जाना तो जैसा उनकी अकेली ख्वाहिश हो गई थी।
लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था। 7 मई को प्रीमियर था और 1 मई को नरगिस एक बार फिर से कोमा में चली गईं। 3 मई को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। फिल्म का प्रीमियर तो बहुत धूमधाम से हुआ लेकिन संजय दत्त का साथ देने के लिए उनकी मां नहीं थीं। इस बात की टीस आज भी संजय दत्त की बातों में दिखता है।
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